तेरा तुझको सौंपते, क्या लागत है मोर।
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प्यारे दोस्तों!!
आज दिल कुछ भरा हुआ सा है। आप सबके के साथ जो सफर 6 महीने पहले शुरू किया था, वो इतना खूबसूरत होगा कभी सोचा नहीं था। आप सबने पहले ही ब्लॉग से मुझे जो प्यार दिया उसकी मैं ताउम्र आभारी रहूँगी। और वैसा ही प्यार मैं आप सबके लिए भी महसूस करती हूँ। आपके संग मैंने अपना हर भाव, हर विचार, हर एहसास साझा किया और आपने मुझे ऐसे अपनाया की हम सब एक परिवार रूप हो गए।
अब तक हमने खूब बातें की हैं। पर आज का ये ब्लॉग किसी को समर्पित है। कुछ ऐसे लोगों को जिसके होने से मैं मुझ सी नहीं रही। जिनके मिलने से मेरे जीवन को एक लक्ष्य मिल गया। जिनकी ऊर्जा इतनी कांतिमय है की मेरा अंधकार से घिरा जीवन प्रकाशमय हो गया। और इनके होने से पहाड़ जैसा लक्ष्य भी आसान सा लगता है।
भाई मैं तो बहुत उत्सुक हूँ आप सबको इनसे मिलवाने के लिए, आप क्या कहते हैं? बता दूँ की किन की बात कर रही हूँ? तो दिल थाम लीजिए जनाब क्योंकि आज मैं आप सबको अपने गुरुजनों से मिलवाने वाली हूँ।
गुरु जैसा नाही को देव, जिस मस्तक भाग सो लागा सेव!!
गुरु शब्द सुनते ही आपको लग रहा होगा की आज की चर्चा आध्यात्मिक स्तर पर होने वाली है, पर ऐसा नहीं है। क्या जरूरी है की कोई भगवाधारी, हो उसकी चोटी या लंबी दाढ़ी, जो छोड़ के बैठ दुनिया सारी, क्या ऐसा ही कोई गुरु हो सकता है?
अपने चारों तरफ गौर कीजिए जरा, वो सामने लगा वृक्ष, क्या वो आपको अपनी जड़ों से जुड़ा रहना नहीं सिखाता? देखिए इन चाँद, सितारों, नदियों, पहाड़ों को, ये सब हमें कुछ न कुछ सीख देते ही है। तो बंधु, ये प्रकृति भी हमारी गुरु ही है। खैर, मैं सौभाग्यशाली हूँ की मुझे मनुष्य रूप में गुरु मिले। तो मेरी यात्रा की शुरुआत हुई जब मेरे मन में आयुर्वेद को पढ़ने की तीव्र इच्छा हुई। और लगभग यही वो समय था जब मुझे spirituality से जुड़े तथ्यों में भी रुचि रहने लगी। law of attraction और manifestation की जादुई दुनिया जैसे मेरा स्वागत कर रही थी। और इन सब से मुझे गहरे रूप से मिलवाया Anirudh Gomber ने। उनसे मिल कर मैंने वो सब समझा और सीखा जो मैं कईं किताबें पढ़ कर भी नहीं सीख सकती थी। हम आयुर्वेद के बारे में भी बात करते थे पर उनसे बात करते करते मुझे लगने लगा की मुझे तो कुछ भी नहीं आता।
ईश्वर का इशारा ही था ये की इंटरनेट पर मेरी आयुर्वेद कॉलेज की तलाश शुरू हो गई। आंखे फटी रह गई यह देख कर की ढेरों अंग्रेज अपने देशों में बैठ हम भारतीयों को ही आयुर्वेद का ज्ञान देने के लाखों रुपये ले रहे थे। मैंने ये तो ठान लिया था की आयुर्वेद पढ़ूँगी तो अपने ही देश के किसी गुणी गुरु से जिन से ये सब अंग्रेज सीख कर गए होंगे। और फिर श्रीमान शाहरुख खान जी ने कहा है ना “ किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलवाने की साजिश करती है”। ऐसा ही कुछ हुआ मेरे साथ भी।
एक दिन instagram पर मेरी बात वैद्य सनातन मिश्रा जी से हुई। स्वभाव से फुर्तीले, मजाकिए और विद्या के धनी है वे। उनसे आयुर्वेद पर चर्चा होने लगी। और उनसे काफी कुछ सीखने को भी मिला।
और इन्ही के ज़रिए मैं मेरे गुरुदेव, परम श्रद्धेय वैद्य संजय भोई जी तक पहुंची। उनसे पहली दफा बात हुई तो कुदरत का एक इशारा हुआ की सद्गुरु मिल गए। ये उनका स्वभाव और विनम्रता ही कहिए की मुझ जैसे नाचीज़ को उन्होंने शिष्य रूप में स्वीकार किया। आपसे ही मिल कर यह एहसास हुआ की श्रद्धा और भाव के पथ पर ज्ञान स्वयं ही आपके साथ हो लेता है। आपके अनमोल मोतियों की माला में मुझे भी पिरो दिया आपने। आप प्रेम के अथाह सागर है गुरुदेव और साधारण से शब्दों में इतनी गहरी बातें कह जाने की आपकी कला मुझे हमेशा अचंभित कर देती है। आपसे ही मिल कर, आपको ही सुन कर मंत्र, प्रार्थना और परायण का महत्व समझ में आया।
आप जिस निस्वार्थ भाव से हम सबको हर दिन केवल आयुर्वेद ही नहीं, सत्व का ज्ञान भी देते है यह हम सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत्र है। आपसे जुड़े हर व्यक्ति का व्यक्तित्व स्वयं ही निखार आता है गुरुदेव और हर पग पर आप अपने शिष्यों की सराहना कर उनका मार्गदर्शन करते हैं, यह आप सा निर्मल मनुष्य ही कर सकता है। किसी भी तरह की परेशानी हो, आपके शब्द, “संहिता की कृपा बनी रहे” सुनते ही एक सुकून सा मिल जाता है।
आपको और आपसे जुड़ी हर बात को शब्दों में कह पाउ, इतनी गुणवान नहीं हूँ मैं। क्योंकि मैंने और मुझ जैसे कईं लोगों आपके लिए जो महसूस किया है, वो सिर्फ आपके सानिध्य में होने से ही महसूस हो सकता है। हर पल, हर क्षण बस इसी भाव के साथ की आपकी कही बातों में से किसी एक को भी खुद में पूरा उतार सकूँ, ऐसा प्रयास करूंगी।
तो दोस्तों, आज मैंने आप सबको अपने जीवनाधार गुरुदेव से रूबरू करवाया है। ईश्वर से प्रार्थना है की जैसे मुझे मेरे जीवन के सूत्रधार से चरक ने मिलवाया है। आप सब पर भी ईश्वर और आयुर्वेद की कृपया बनी रहे।
धन्यवाद
चारु राजपाल
Author: Charu Narula | Publisher: Kosha Life